चले आओ
चले आओ इक बार फिर
उसी मोड़ पर
जहाँ कभी सूरज डूबा था
हमें देखते हुए
चले आओ इक बार फिर
उसी मोड़ पर
जहाँ हमारी हँसी सुनकर
माहौल खुश हुआ करता था
चले आओ इक बार फिर
उसी मोड़ पर
क्योंकि
आज भी वो मोड़
तुम्हारी याद लिए यूँही बैठा है
खुश होनेकी चाह में
आज भी सूरज
हमारे चेहरे की वो रोशनी ढूँढता है
फिरसे आनेकी चाह में
उम्र छीन ले गयी वो मासूमियत पर
दिल अभीभी वहीं है
फिरसे जीने की चाह में
चले आओ बस.....
#गौरीहर्षल #१९.१०.२०१९
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